प्रस्तावना
भारत में हाल ही में GST स्लैब कटौती (GST Rate Cut 2025 ) की घोषणा ने न केवल आर्थिक जगत को हिला दिया है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। सबसे बड़ा सवाल यह उठाया जा रहा है कि क्या यह निर्णय सीधे तौर पर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से जुड़ा हुआ है। विपक्ष इसे चुनावी स्टंट बता रहा है, वहीं सरकार का दावा है कि यह फैसला देश के हर नागरिक के हित में है। इसी बीच जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पूछा गया – “क्या यह GST कट बिहार चुनाव में बीजेपी का मैनिफेस्टो है?” – तो उन्होंने स्पष्ट और कड़ा जवाब दिया।
वित्त मंत्री का जवाब – बिहार नहीं, 140 करोड़ भारतीयों का मैनिफेस्टो
निर्मला सीतारमण ने साफ शब्दों में कहा:
“यह बिहार का नहीं बल्कि पूरे देश के 140 करोड़ लोगों का मैनिफेस्टो है।”
इस बयान ने राजनीतिक अटकलों पर सीधा ब्रेक लगाया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के GST 2.0 सुधारों का हिस्सा है, जिसे स्वतंत्रता दिवस के भाषण में विशेष रूप से घोषित किया गया था। यानी यह फैसला केवल चुनावी रणनीति नहीं बल्कि आर्थिक सुधारों का एक महत्वपूर्ण कदम है।
GST कटौती क्यों महत्वपूर्ण है?
1. आम जनता के लिए राहत
GST दरों में कमी का सीधा असर रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर पड़ता है। अगर कंपनियां सही तरह से यह कटौती उपभोक्ताओं तक पहुंचाएं तो लोगों को काफी राहत मिल सकती है।
2. खपत और मांग में बढ़ोतरी
कम टैक्स का मतलब है कि लोग अधिक खरीदारी करेंगे। इससे घरेलू खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
3. व्यापारियों और उद्योगों को फायदा
व्यापार जगत लंबे समय से सरल और कम टैक्स संरचना की मांग करता रहा है। GST 2.0 सुधारों से उन्हें कर अनुपालन आसान बनाने और लागत घटाने में मदद मिलेगी।
विपक्ष का आरोप – चुनावी स्टंट या आर्थिक सुधार?
विपक्षी दलों का कहना है कि यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब बिहार चुनाव नजदीक हैं, इसलिए इसे बीजेपी का चुनावी मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं ने तंज कसा कि सरकार जनता को चुनावी रेवड़ियां दिखा रही है।
लेकिन वित्त मंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष को “होमवर्क करने” की जरूरत है, क्योंकि यह सुधार केवल एक राज्य नहीं बल्कि पूरे देश के लिए है।
GST 2.0 सुधार – क्या है इसमें खास?
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कई वस्तुओं पर टैक्स स्लैब घटाया गया – घरेलू उपभोग वाली वस्तुएं और FMCG उत्पाद सस्ते होंगे।
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सरल संरचना – टैक्स कैटेगरी को और ज्यादा स्पष्ट बनाया गया है ताकि व्यापारियों को भ्रम न हो।
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ईज ऑफ डूइंग बिजनेस – कारोबारियों के लिए अनुपालन (Compliance) आसान किया गया।
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राजस्व में संतुलन – सरकार का दावा है कि टैक्स दर घटाने के बावजूद राजस्व को नुकसान नहीं होगा क्योंकि खपत बढ़ेगी।
आम जनता पर असर
अगर कंपनियां इस टैक्स कट का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाती हैं तो –
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रसोई से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक की कई चीजें सस्ती होंगी।
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मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा।
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महंगाई पर कुछ हद तक अंकुश लग सकता है।
लेकिन अगर कंपनियां लाभ रोक लेती हैं, तो आम उपभोक्ता को ज्यादा राहत नहीं मिलेगी। इसी कारण सरकार लगातार उद्योग जगत से संवाद कर रही है।
बिहार चुनाव और राजनीतिक सियासत
बिहार चुनाव से ठीक पहले आए इस फैसले को लेकर राजनीति गर्म है।
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बीजेपी का दावा – यह निर्णय विकास और जनता के हित में लिया गया है।
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विपक्ष का आरोप – बीजेपी इस फैसले को चुनावी हथियार बना रही है।
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जनता की नजर – लोग यह देखना चाहते हैं कि क्या वास्तव में कीमतों में राहत मिलेगी या यह सिर्फ कागजों पर बदलाव रहेगा।
आर्थिक नजरिया
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि टैक्स स्लैब में कमी से शॉर्ट-टर्म में सरकार के राजस्व पर दबाव आ सकता है, लेकिन लॉन्ग-टर्म में खपत बढ़ने से इसकी भरपाई हो जाएगी। इसके अलावा, यह कदम विदेशी निवेशकों के लिए भी भारत को एक आकर्षक बाजार बना सकता है।
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