प्रस्तावना
हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक भयंकर स्वास्थ्य त्रासदी सामने आई है, जिसमें बच्चों की जान खतरनाक कफ (cough) सिरप के सेवन के कारण चली गई। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है और दवा नियंत्रण प्रणाली, गुणवत्ता मानकों और सरकारी निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने जल्दी चेतावनी जारी की और संबंधित सिरप पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी हुई है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ये मामला क्या है, किस सिरप पर प्रतिबंध लगाया गया, क्या कारण हैं, सरकारों ने क्या कदम उठाए और आम जनता को क्या सतर्कता बरतनी चाहिए।
मामला क्या है? — MP और राजस्थान में बच्चों की मौतें
मध्य प्रदेश (MP) और राजस्थान की कुछ जिलों में सितंबर-2025 के आसपास ऐसी खबरें आईं कि कुछ छोटे बच्चों को कफ और जुकाम की दवा दी गई, लेकिन कुछ ही दिनों में उनकी हालत बिगड़ गई। बहुत से बच्चों को अचानक गुर्दे (kidney) की तकलीफ हुई, पेशाब बंद हो गई और अंततः उन्होंने दम तोड़ दिया। की।
संवाद माध्यमों और सरकारी बयानों के अनुसार, कुल मिलाकर लगभग 12 बच्चों की मौतें कफ सिरप सेवन से जुड़ी बताई जा रही हैं।
यह घटना न केवल दुखद है, बल्कि स्वास्थ्य प्रशासन और औषध नियंत्रण व्यवस्था की अक्षमता को भी उजागर करती है।
दोषी सिरप और उसकी पहचान — “Coldrif” सिरप
मीडिया रिपोर्ट्स और जांच अधिकारियों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि Coldrif नामक कफ सिरप संभवतः इन मौतों से संबंधित हो सकता है।
- प्रस्तावना
- हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक भयंकर स्वास्थ्य त्रासदी सामने आई है, जिसमें बच्चों की जान खतरनाक कफ (cough) सिरप के सेवन के कारण चली गई। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है और दवा नियंत्रण प्रणाली, गुणवत्ता मानकों और सरकारी निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने जल्दी चेतावनी जारी की और संबंधित सिरप पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी हुई है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ये मामला क्या है, किस सिरप पर प्रतिबंध लगाया गया, क्या कारण हैं, सरकारों ने क्या कदम उठाए और आम जनता को क्या सतर्कता बरतनी चाहिए।
- मामला क्या है? — MP और राजस्थान में बच्चों की मौतें
- मध्य प्रदेश (MP) और राजस्थान की कुछ जिलों में सितंबर-2025 के आसपास ऐसी खबरें आईं कि कुछ छोटे बच्चों को कफ और जुकाम की दवा दी गई, लेकिन कुछ ही दिनों में उनकी हालत बिगड़ गई। बहुत से बच्चों को अचानक गुर्दे (kidney) की तकलीफ हुई, पेशाब बंद हो गई और अंततः उन्होंने दम तोड़ दिया। की।
- संवाद माध्यमों और सरकारी बयानों के अनुसार, कुल मिलाकर लगभग 12 बच्चों की मौतें कफ सिरप सेवन से जुड़ी बताई जा रही हैं।
- यह घटना न केवल दुखद है, बल्कि स्वास्थ्य प्रशासन और औषध नियंत्रण व्यवस्था की अक्षमता को भी उजागर करती है।
- दोषी सिरप और उसकी पहचान — “Coldrif” सिरप
- महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया — बैन और सावधानी
- अन्य राज्यों की कार्रवाइयाँ और केंद्र सरकार की भूमिका
- इस त्रासदी के कारण (संभावित कारण एवं चुनौतियाँ)
- आम जनता के लिए सावधानियाँ और सुझाव
- निष्कर्ष
विशेष रूप से Batch No. SR-13 (मैन्युफैक्चर: मई 2025, एक्सपायरी: अप्रैल 2027) को संदिग्ध करार दिया गया है।
तुल्यकालीन जांच में यह पाया गया कि इस बैच में डाइएथेलीनी ग्लाइकोल (Diethylene Glycol, DEG) नामक जहरीला यौगिक मिला है, जिसकी मात्रा मानक से बहुत अधिक थी। DEG एक औद्योगिक रसायन है, और यदि यह दवाओं में शामिल हो जाए, तो यह गुर्दे और यकृत को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, Tamil Nadu की ड्रग कंट्रोल यूनिट ने इस सिरप के नमूने की जाँच की और DEG की उपस्थिति पाई।
यह मामला इस प्रकार एक कथित “जहरीला दवा” (toxic drug) विवाद बन गया है, जिसमें एक आम मासूम दवा ने जानें लीं।
महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया — बैन और सावधानी
महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। महाराष्ट्र के FDA (Food & Drug Administration) ने सार्वजनिक रूप से चेतावनी जारी की है कि Coldrif सिरप (Batch No. SR-13) के किसी भी उपयोग या बिक्री को तुरन्त रोक दें।
सरकार ने यह दावा किया है कि इस सिरप का यह संदिग्ध बैच राज्य की अधिकृत दवा आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) तक नहीं पहुँचा।
इसके बावजूद महाराष्ट्र FDA ने सभी दवा विक्रेताओं, अस्पतालों और फार्मेसियों को निर्देश दिया है कि यदि उनके पास Coldrif सिरप है, तो उसे फ्रीज़ (रोक) कर दें और ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी को तुरंत रिपोर्ट करें।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस घटनाक्रम पर टिप्पणी की है और कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, FDA ने जनता को जागरूक किया है कि इस बैच की पहचान कर यदि आपके पास है, तो इसे प्रयोग न करें।
इस तरह महाराष्ट्र ने संज्ञान लिया और प्रारंभिक कदम उठाए ताकि कोई अतिरिक्त नुकसान न हो।
अन्य राज्यों की कार्रवाइयाँ और केंद्र सरकार की भूमिका
मध्य प्रदेश सरकार ने Coldrif और Nextro-DS नामक सिरपों पर प्रतिबंध लगाकर उनका स्टॉक जब्त करने के निर्देश दिए हैं।
इसके अलावा, दो और कफ सिरपों पर बैन लगाने की घोषणा हुई है।
राजस्थान सरकार ने भी संबंधित सिरपों की आपूर्ति रोक दी है और राज्य औषध नियंत्रण अधिकारी को निलंबित किया है।
केंद्र सरकार (Union Health Ministry / DGHS) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की है कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खाँसी और जुकाम की ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाएं न दी जाएँ।
इस एडवाइजरी में कहा गया है कि 5 वर्ष तक के बच्चों को इन दवाओं का उपयोग केवल चिकित्सकीय निगरानी में होना चाहिए।
NHRC (National Human Rights Commission) ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस भेजा है और पूछा है कि इस घटना की जांच कहां तक पहुँची है।
केंद्र सरकार की भूमिका इस मामले में निहित है कि वह राष्ट्रीय औषध नियंत्रण सुधार, गुणवत्ता मानकों की समीक्षा और दवा कंपनियों की जवाबदेही को सुदृढ़ करे।
इस त्रासदी के कारण (संभावित कारण एवं चुनौतियाँ)
यहाँ कुछ प्रमुख कारण और चुनौतियाँ हैं जो इस स्थिति को जन्म दे सकती हैं:
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दवा गुणवत्ता नियंत्रण की लापरवाही
यदि दवा निर्माण प्रक्रिया में शुद्धता नहीं रही, या कच्चे माल में मिलावट हुई हो, तो ऐसी जहरीली दवाएं बाजार में पहुँच सकती हैं। -
निरीक्षण एवं नियमित जाँच की कमी
ड्रग कंट्रोल एजेंसियों की नियमित निरीक्षण प्रणाली कमजोर हो सकती है। यदि दवा निर्माण इकाइयों की समय-समय पर जाँच न हो, तो गड़बड़ी बरी हो सकती है। -
पेचीदा सप्लाई चेन
दवाएं निर्माता से थोक विक्रेता, वितरक, और अंततः फार्मेसी तक पहुँचती हैं। किसी भी कड़ी में कमी या भ्रष्टाचार संभव है। -
सतर्कता में कमी
यदि डॉक्टर, फार्मेसिस्ट और आम जनता इस तरह की चेतावनियों के प्रति सचेत न हों, तो ऐसी दवाएँ इस्तेमाल हो सकती हैं। -
नीति एवं कानून मामलों की कमजोरियां
दवा नियंत्रण कानूनों का सख्ती से पालन न होना, समय पर कारवाई न होना, और अभियोजन में देरी भी इस तरह की घटनाओं को जन्म देती है। -
अनुचित दवा सुझाव और ओवर-द-काउंटर उपयोग
खाँसी और जुकाम की दवाएं बच्चों में सामान्य माना जाती हैं, लेकिन यदि बिना डॉक्टर की सलाह पर और अनियंत्रित मात्रा में इस्तेमाल हों, तो खतरनाक हो सकती हैं।
आम जनता के लिए सावधानियाँ और सुझाव
इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए निम्न सावधानियाँ और सुझाव बेहद महत्वपूर्ण हैं:
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दवा का बैच नंबर और एक्सपायरी देखें
किसी भी सिरप का बैच नंबर (जैसे SR-13) और एक्सपायरी डेट अवश्य चेक करें। यदि वह संदिग्ध हो, तो उपयोग न करें। -
डॉक्टर की सलाह लें
खाँसी और जुकाम के लिए स्वयं दवा न दें। कम उम्र के बच्चों के लिए विशेष रूप से डॉक्टर की सलाह आवश्यक है। -
अनुमोदित दवाएं लें, OTC दवाओं से सावधान रहें
ओवर-द-काउंटर दवाओं का उपयोग सावधानी से करें और केवल विश्वसनीय कम्पनी की दवाओं पर भरोसा करें। -
संभव हो तो दवा सेवन से पहले जाँच रिपोर्ट देखें
यदि कोई दवा संदेहास्पद है, तो स्थानीय ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी से उसकी जाँच की मांग करें। -
समय रहते चेतावनी स्वीकार करें
यदि सरकार या FDA ने चेतावनी या बैन जारी किया है, उस पर अमल करें और दवा को प्रयोग न करें। -
लक्षणों पर ध्यान दें
यदि दवा लेने के बाद उल्टी, पेट दर्द, पेशाब बंद होना या कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई दें, तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। -
शिक्षा और जागरूकता बढ़ाएँ
लोगों को इस प्रकार की घटनाओं और दवा सुरक्षा के बारे में जागरूक करना ज़रूरी है।
निष्कर्ष
MP और राजस्थान में बच्चों की मौत का यह मामला हमें यह सिखाता है कि स्वास्थ्य सुरक्षा और दवा नियंत्रण केवल औपचारिक शब्द नहीं हो सकते — उन्हें क्रियात्मक रूप से लागू करना होगा। महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत ही Coldrif सिरप की चेतावनी जारी की और संभावित पहुंच रोकने की कोशिश की। परंतु यह केवल एक राज्य का कदम है — इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए देशव्यापी स्तर पर नीति सुधार, कड़ी निगरानी और पारदर्शी कार्रवाई अनिवार्य है।
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