CRPF हेड कांस्टेबल महेंद्र लश्कर शहीद
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में नक्सलियों ने एक बार फिर सुरक्षाबलों को निशाना बनाया। शुक्रवार रात हुए इस नक्सली हमले में CRPF हेड कांस्टेबल महेंद्र लश्कर शहीद हो गए, जबकि दो अन्य जवान घायल बताए जा रहे हैं। सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ कई घंटों तक चली। क्षेत्र में फिलहाल हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है और नक्सलियों की तलाश में व्यापक सर्च ऑपरेशन जारी है।
- CRPF हेड कांस्टेबल महेंद्र लश्कर शहीद
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में नक्सलियों ने एक बार फिर सुरक्षाबलों को निशाना बनाया। शुक्रवार रात हुए इस नक्सली हमले में CRPF हेड कांस्टेबल महेंद्र लश्कर शहीद हो गए, जबकि दो अन्य जवान घायल बताए जा रहे हैं। सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ कई घंटों तक चली। क्षेत्र में फिलहाल हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है और नक्सलियों की तलाश में व्यापक सर्च ऑपरेशन जारी है।
- 🔹 हमले की पूरी घटना: कैसे हुआ हमला
- 🔹 शहीद महेंद्र लश्कर की वीरता की कहानी
- 🔹 झारखंड में नक्सल हिंसा की जड़ें और चुनौतियाँ
- 🔹 स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक प्रतिक्रिया
- 🔹 परिवार का दर्द और गर्व
- 🔹 सुरक्षाबलों का मनोबल अडिग
- 🔹 झारखंड में नक्सल विरोधी अभियान की वर्तमान स्थिति
- 🔹 स्थानीय जनता की सुरक्षा प्राथमिकता पर
- 🔹 देशभर से श्रद्धांजलि और समर्थन
- 🔹 निष्कर्ष: शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी
🔹 हमले की पूरी घटना: कैसे हुआ हमला
घटना शुक्रवार देर रात की बताई जा रही है, जब CRPF की 197 बटालियन और झारखंड पुलिस का संयुक्त बल तोड़ांग इलाके में सर्च ऑपरेशन पर निकला हुआ था। इसी दौरान घात लगाए बैठे नक्सलियों ने जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। अचानक हुए इस हमले में कई जवानों को कवर लेने का मौका नहीं मिला। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने भी मोर्चा संभाला और मुठभेड़ कई घंटों तक चली।
मुठभेड़ खत्म होने के बाद जब इलाके की तलाशी ली गई, तो वहां से भारी मात्रा में बारूद, कारतूस, नक्सली पोस्टर और बैनर बरामद किए गए। इस दौरान हेड कांस्टेबल महेंद्र लश्कर गंभीर रूप से घायल हुए, जिन्हें हेलिकॉप्टर से रांची लाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने वीरगति प्राप्त की।
🔹 शहीद महेंद्र लश्कर की वीरता की कहानी
हेड कांस्टेबल महेंद्र लश्कर, जो मूल रूप से पश्चिम बंगाल के राउरकेला क्षेत्र से थे, पिछले कई वर्षों से झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात थे। अपने समर्पण और बहादुरी के कारण उन्हें साथियों के बीच एक कर्तव्यनिष्ठ और साहसी जवान के रूप में जाना जाता था।
उनकी शहादत पर पूरे सुरक्षा बल परिवार के साथ-साथ स्थानीय लोग भी गमगीन हैं।
महेंद्र लश्कर का पार्थिव शरीर रांची लाया गया, जहां उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम सलामी दी जाएगी। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर राउरकेला स्थित उनके गृह नगर भेजा जाएगा, जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा।
🔹 झारखंड में नक्सल हिंसा की जड़ें और चुनौतियाँ
झारखंड, खासकर चाईबासा, सरायकेला-खरसावां और गुमला जैसे क्षेत्र दशकों से नक्सल प्रभावित रहे हैं। नक्सलियों का प्रभाव ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में अब भी देखा जा सकता है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले कुछ वर्षों में नक्सलवाद को काफी हद तक कमजोर किया है, लेकिन इस तरह की घटनाएँ यह साबित करती हैं कि नक्सल संगठन अब भी सक्रिय हैं और सुरक्षा तंत्र को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं।
झारखंड पुलिस और CRPF का कहना है कि वे नक्सलियों को हर हाल में खत्म करेंगे। इस हमले के बाद बड़े पैमाने पर कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा है। ड्रोन और आधुनिक तकनीक की मदद से जंगलों की निगरानी भी बढ़ा दी गई है।
🔹 स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही झारखंड के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कई वरिष्ठ अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने कहा —
“शहीद महेंद्र लश्कर की शहादत को देश कभी नहीं भूलेगा। नक्सलवाद की इस जड़ को पूरी तरह समाप्त करना हमारी प्राथमिकता है।”
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी रिपोर्ट तलब की है और अतिरिक्त बल भेजने का निर्देश दिया है। CRPF के शीर्ष अधिकारी खुद मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया।
🔹 परिवार का दर्द और गर्व
शहीद महेंद्र लश्कर के परिवार में मातम पसरा है, लेकिन उनके पिता ने कहा —
“हमें गर्व है कि हमारा बेटा देश के लिए शहीद हुआ। उसकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।”
उनकी पत्नी ने भी भावुक होते हुए कहा कि महेंद्र हमेशा कहते थे — “देश पहले, बाकी सब बाद में।”
राउरकेला और आस-पास के क्षेत्रों में लोग शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि दी है।
🔹 सुरक्षाबलों का मनोबल अडिग
हालांकि यह हमला दुखद है, लेकिन इससे सुरक्षाबलों का मनोबल टूटा नहीं है।
CRPF और झारखंड पुलिस दोनों ने स्पष्ट कहा है कि इस हमले का जवाब दिया जाएगा।
कई खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह हमला PLGA (People’s Liberation Guerrilla Army) से जुड़े नक्सलियों ने किया है, जिनकी पहचान की जा रही है।
🔹 झारखंड में नक्सल विरोधी अभियान की वर्तमान स्थिति
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने SAMADHAN योजना के तहत नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं।
इन अभियानों के परिणामस्वरूप कई बड़े नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि कई शीर्ष कमांडर मारे गए।
फिर भी, सीमावर्ती इलाकों — खासकर चाईबासा, खूंटी, लातेहार और चतरा में नक्सली गुटों के अवशेष अब भी मौजूद हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला एक “frustrated retaliation” है, जो नक्सलियों ने अपनी कमजोर होती पकड़ के जवाब में किया है।
🔹 स्थानीय जनता की सुरक्षा प्राथमिकता पर
चाईबासा के ग्रामीण इलाकों में फिलहाल डर का माहौल है। सुरक्षा बल लगातार गश्त कर रहे हैं और गांव वालों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और नक्सलियों से किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देने की अपील की है।
🔹 देशभर से श्रद्धांजलि और समर्थन
सोशल मीडिया पर #ShaheedMahendraLaskar और #ChiribasaAttack जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
लोग शहीद के प्रति अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कर रहे हैं और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कई पूर्व सैनिकों ने भी ट्वीट कर कहा कि — “हर शहीद की कुर्बानी हमें याद दिलाती है कि देश की रक्षा में कोई समझौता नहीं हो सकता।”
🔹 निष्कर्ष: शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी
चाईबासा में हुआ यह नक्सली हमला एक बार फिर यह दिखाता है कि देश के भीतर सुरक्षा की लड़ाई अब भी जारी है।
लेकिन ऐसे वीर जवानों की वजह से ही देश आज सुरक्षित है।
CRPF हेड कांस्टेबल महेंद्र लश्कर की शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा।
उनकी वीरता और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने तक अभियान जारी रहेगा।
रांची में दी जाने वाली अंतिम सलामी केवल एक रस्म नहीं, बल्कि एक वीर को दिया गया राष्ट्रीय सम्मान है।
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