Reading: बिहार के नए मुख्यमंत्री पर सियासी हलचल तेज, नीतीश कुमार को मिला एनडीए का समर्थन

बिहार के नए मुख्यमंत्री पर सियासी हलचल तेज, नीतीश कुमार को मिला एनडीए का समर्थन

johar-jharkhand.com
7 Min Read
बिहार के नए मुख्यमंत्री पर सियासी हलचल तेज, नीतीश कुमार को मिला एनडीए का समर्थन

बिहार के नए मुख्यमंत्री पर सियासी हलचल तेज

बिहार में राजनीतिक हलचल अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है — 2025 की विधानसभा चुनावों में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की भारी जीत के बाद, नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनने का मार्ग मिल गया है। उनकी 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया तब शुरू हुई जब उन्हें एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया।

Contents

इस खबर के बाद राजनीतिक दलों, नेताओं और जनता में प्रतिक्रियाओं की एक कड़ी शुरुआत हुई है। नीचे हम विभिन्न प्रमुख आवाज़ों और उनके बयान का विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे।


प्रमुख बयान और प्रतिक्रियाएं

1. एनडीए और जेडीयू के अंदरूनी समर्थन

  • जेडीयू नेता और विधायकों का रुख
    जदयू के विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से नीतीश कुमार को नेता चुना गया। यह एक स्पष्ट संदेश है कि उनकी पुरानी पार्टी (जदयू) ने उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में strongly स्वीकार किया है।

  • एनडीए घटक दलों ने समर्थन किया
    एनडीए विधायक दल की बैठक में, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समेत अन्य घटक दलों ने भी नीतीश के नाम पर मुहर लगाई।  खासकर बीजेपी के सम्राट चौधरी ने प्रस्ताव पेश किया, जो इस गठबंधन में उनकी अहम भूमिका को दर्शाता है।

  • शपथ ग्रहण समारोह
    20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में एक भव्य शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई केंद्रीय नेता और एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित होंगे।


2. बीजेपी के बयान

  • उप-प्रधानमंत्री व स्थानीय बीजेपी नेतृत्व
    भाजपा का कहना है कि सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा फिर से उप मुख्यमंत्री बने हैं, जो यह दिखाता है कि बीजेपी अपनी स्थिति को बिहार में मज़बूत रखने का इरादा रखती है।

  • केन्द्रीय नेताओं की सहभागिता
    बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने नया मंत्रिमंडल और नेतृत्व संयोजन पर भरोसा जताया है। लोगों को यह संकेत भी मिल रहा है कि बीजेपी जदू-बीजेपी गठबंधन को महत्वपूर्ण मान रही है और इसमें संतुलन बनाए रखने की कोशिश करेगी।


3. विपक्ष और आलोचना

  • आरजेडी (RJD) – तेजस्वी यादव और मनोज झा की प्रतिक्रिया
    तेजस्वी यादव ने जूनून के साथ कहा है कि उन्होंने “दो बार नीतीश कुमार को सीएम बनवाया।” यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नीतीश और उनके पुराने राजनीतिक गठजोड़ों की जटिल राजनीति को उजागर करता है।

    इसके अलावा, राज्‍यसभा सांसद मनोज झा ने कहा है कि नीतीश कुमार “ब्रहमांड के रचयिता” जैसा बयान देते हैं, जो उनकी आत्म-छवि में अहंकार की झलक देता है।

  • कांग्रेस की आलोचना
    कांग्रेस (INDIA ब्लॉक) ने बीजेपी और जदयू पर निशाना साधा है। पार्टी के नेतृत्व ने कहा है कि नीतीश लगातार सत्ता में बने रहने के लिए गठबंधन बदलते हैं, और उनकी नीतियों में प्रवास (माइग्रेशन), रोजगार और सामाजिक विकास की कमी रही है।


4. नीतीश कुमार की अपनी स्थिति

  • लालू यादव की पेशकश पर नीतीश का घटक जवाब
    पिछली रिपोर्टों में यह बताया गया है कि लालू प्रसाद यादव ने नीतीश को INDIA ब्लॉक (महागठबंधन) में वापसी की पेशकश की थी।  हालांकि, नीतीश ने इस पर चुप्पी के साथ जवाब दिया, और कहा, “क्या बोल रहे हैं?” — यह उनकी अनिश्चितता या चालाकी दोनों की ओर इशारा कर सकता है।

  • राजनीतिक स्थिरता की ओर झुकाव
    नीतीश का पुनर्विकास बिहार में उनकी स्थिरता की छवि को मजबूती देता है। दसवी बार मुख्यमंत्री बनने का तथ्य अपनी आप में एक बड़ा राजनीतिक बयान है — यह दर्शाता है कि उनकी सत्ता का आधार आज भी काफी मजबूत है।


राजनीतिक महत्व एवं संभावित चुनौतियाँ

राजनीतिक स्थिरता या सत्ता सत्ता का चक्र?

नीतीश कुमार का दसवां मुख्यमंत्री कार्यकाल न केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि यह बिहार की राजनीतिक स्थिरता की ओर एक संकेत भी है। जदयू और बीजेपी के बीच गठबंधन फिर से रचनात्मक रूप से काम करने का इरादा दिखाता है। लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या यह स्थिरता विकास और सुधार में बदल पाएगी, या सिर्फ सत्ता की चमक तक ही सीमित रहेगा?

विपक्ष के लिए नई रणनीति

आरजेडी और कांग्रेस को अब एक मजबूत विपक्षी कथा तैयार करनी होगी — तेजस्वी यादव की “मेरी उम्र कम है, लेकिन वादा परिपक्व” वाली बात (जैसे कि उन्होंने एक बयान में कहा था) — इन्हीं वादों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उनका मकसद होगा यह दिखाना कि एनडीए शासन में बिहार की आम जनता के मुद्दे पूरी तरह से अनदेखे न हों।

विकास बनाम वादे

लोक शिक्षित और युवा वर्ग, जो रोजगार, माइग्रेशन और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है, इस कार्यकाल में सत्ताधारी गठबंधन से ठोस कदमों की अपेक्षा करेगा। अगर नीतीश कुमार और उनकी टीम सिर्फ रामकीय शपथ-समारोह और प्रतीकात्मक राजनीति तक सीमित रह जाते हैं, तो जनता की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।


निष्कर्ष

बिहार में नीतीश कुमार की वापसी मुख्यमंत्री पद पर न केवल राजनीतिक मायने रखती है, बल्कि यह इस बात का आईना भी है कि एनडीए गठबंधन अभी भी जदू और बीजेपी के बीच संतुलन बनाए रखने में सक्षम है। हालांकि, विपक्षी पार्टियों (जैसे RJD, कांग्रेस) ने तुरंत ही उनकी नीतियों की आलोचना शुरू कर दी है, और जनता की उम्मीदें इस कार्यकाल के प्रति काफी उच्च हैं।

नीतीश कुमार के दसवें कार्यकाल को इसलिए सिर्फ एक समारोह के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए — यह बिहार के भविष्य के लिए एक निर्णायक मोड़ हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका नेतृत्व विकासात्मक एजेंडा पर कितना फोकस करेगा, और क्या वे बिहार की पुरानी चुनौतियों (जैसे प्रवासन, बेरोज़गारी) को समाप्त करने में सफल होंगे।

 

👉 आगे पढ़ें : IND vs SA Live Score: भारत की रनचेज़ चुनौती गहराई, लंच के बाद बढ़ी जिम्मेदारी

Share This Article
Leave a Comment