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G20 शिखर सम्मेलन से ट्रम्प की गैरहाजिरी, पुतिन की गिरफ्तारी का डर और जिनपिंग की तबीयत: भारत के लिए G20 क्यों खास?

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G20 शिखर सम्मेलन से ट्रम्प की गैरहाजिरी, पुतिन की गिरफ्तारी का डर और जिनपिंग की तबीयत: भारत के लिए G20 क्यों खास?

G20 शिखर सम्मेलन से ट्रम्प की गैरहाजिरी, पुतिन की गिरफ्तारी का डर और जिनपिंग की तबीयत

G20 शिखर सम्मेलन हमेशा से वैश्विक राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक समीकरणों का केंद्र रहा है। दुनिया की 20 सबसे प्रभावशाली अर्थव्यवस्थाओं का यह समूह न केवल वैश्विक नीतियों का दिशा-निर्देशन करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संकटों के समाधान में भी अहम भूमिका निभाता है। हालांकि इस बार चर्चा का विषय सम्मेलन के एजेंडे से अधिक कुछ बड़े नेताओं की गैरहाजिरी रही है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग—इन तीनों की अनुपस्थिति ने वैश्विक राजनीति में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

Contents
  • निष्कर्ष
  • इन नेताओं की अनुपस्थिति के अपने-अपने कारण हैं, जिनके राजनीतिक और कूटनीतिक मायने गहरे हैं। ऐसे में यह समझना भी जरूरी है कि आखिर इन हालातों के बीच भारत के लिए G20 Summit क्यों इतना खास है और दुनिया इस आयोजन को किस नजर से देख रही है।


    ट्रम्प की गैरहाजिरी: ‘गोरों पर अत्याचार’ का मुद्दा और राजनीति की नई चाल

    डोनाल्ड ट्रम्प अपनी विवादित राजनीति और उग्र बयानों के लिए हमेशा चर्चा में रहते हैं। इस बार उन्होंने G20 में शामिल न होने का फैसला लेते हुए यह दावा किया कि अमेरिका और पश्चिमी देशों में ‘गोरों पर अत्याचार’ हो रहा है और उनकी आवाज दबाई जा रही है। ट्रम्प ने खुद को ‘श्वेत समुदाय के अधिकारों के रक्षक’ के रूप में पेश करने की कोशिश की, जो उनके चुनावी अभियान की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

    ट्रम्प की गैरहाजिरी के संभावित कारण

    1. घरेलू चुनावी राजनीति:
      ट्रम्प 2024 चुनावों को ध्यान में रखकर ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं जो उनके समर्थकों को भावनात्मक रूप से जोड़ें।

    2. G20 में आलोचना से बचाव:
      जलवायु, व्यापार और वैश्विक शांति जैसे मुद्दों पर ट्रम्प का रुख अन्य देशों से अलग रहता है। संभव है कि आलोचना से बचने के लिए भी वे गैरहाजिर रहे हों।

    3. अमेरिका की आंतरिक राजनीति:
      ‘गोरों पर अत्याचार’ का बयान इंटरनल पॉलिटिक्स में एक नया मोड़ है, जिसे ट्रम्प ने वैश्विक मंच पर भी हर संभव तरीके से भुनाने की कोशिश की।

    ट्रम्प की अनुपस्थिति ने अमेरिका की विदेश नीति के बारे में भी यह संदेश दिया है कि देश फिलहाल वैश्विक नेतृत्व में वैसी सक्रियता नहीं दिखा रहा, जैसी पहले दिखाता था।


    पुतिन की गैरहाजिरी: अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट का डर

    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन G20 शिखर सम्मेलन से अक्सर दूरी बनाते नजर आए हैं, लेकिन इस बार की गैरहाजिरी सीधे-सीधे इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) के गिरफ्तारी वारंट से जुड़ी है। यूक्रेन युद्ध के बाद ICC ने पुतिन पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाते हुए वारंट जारी किया था। G20 के कई सदस्य देश ICC के सदस्य भी हैं; ऐसे में ये आशंका बनी रही कि पुतिन को कानूनी जोखिम उठाना पड़ सकता है।

    पुतिन के न आने के मुख्य कारण

    1. गिरफ्तारी का खतरा:
      ICC के वारंट के चलते कई देशों में पुतिन की यात्रा कानूनी रूप से जोखिमभरी है।

    2. यूक्रेन युद्ध की आलोचना:
      G20 मंच पर रूस के खिलाफ तीखी आलोचना की संभावना थी, जिससे पुतिन बचना चाहते थे।

    3. राजनीतिक छवि का प्रबंधन:
      रूस अपनी छवि को ऐसी स्थिति में दुनिया के सामने नहीं दिखाना चाहता, जहाँ राष्ट्रपति स्वयं कानूनी जोखिम में हों।

    इससे यह साफ है कि रूस वैश्विक मंचों पर खुद को बचाव की मुद्रा में पाता है और चीन, ईरान, नॉर्थ कोरिया जैसे कुछ देशों के साथ ही खुलकर साझेदारी कर पा रहा है।


    जिनपिंग की अनुपस्थिति: स्वास्थ्य की चिंता और चीन की आंतरिक चुनौतियां

    चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बारे में कई दिनों से स्वास्थ्य को लेकर चर्चाएं चल रही थीं। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वे किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं और डॉक्टरों की सलाह पर वे किसी इंटरनेशनल ट्रैवल से बच रहे हैं। हालांकि चीन की सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन उनकी अनुपस्थिति अपने आप में बहुत कुछ कहती है।

    जिनपिंग के न आने के संभावित कारण

    1. स्वास्थ्य संबंधी परेशानी:
      चीन में नेताओं की स्वास्थ्य स्थिति को गोपनीय रखा जाता है, लेकिन उनकी अनुपस्थिति से संकेत मिलते हैं कि मामला गंभीर हो सकता है।

    2. चीन की आर्थिक मंदी:
      चीन की अर्थव्यवस्था कई दशक में पहली बार इतनी धीमी हो रही है; ऐसे में जिनपिंग घरेलू चुनौतियों पर ही ध्यान केंद्रित करना चाह रहे हैं।

    3. भारत-चीन संबंध:
      LAC विवादों के कारण संबंध तनावपूर्ण हैं। जिनपिंग भारत पहुँचकर इस तनाव को नया रूप नहीं देना चाहते थे।

    इन तीन बड़े नेताओं की गैरहाजिरी ने G20 Summit की कूटनीतिक हलचल को जरूर प्रभावित किया, लेकिन इसके बावजूद सम्मेलन ने अपना वैश्विक महत्व बरकरार रखा।


    भारत के लिए इस बार का G20 क्यों खास है?

    भारत इस G20 Summit की मेजबानी कर रहा है, जो अपने आप में ऐतिहासिक है। भारत ना केवल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, बल्कि अब वैश्विक नीति-निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

    1. भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन

    भारत ने ‘वसुधैव कुटुंबकम् – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का संदेश देकर दुनिया को जोड़ने की कोशिश की है। इससे भारत की कूटनीतिक छवि मजबूत हुई है।

    2. विकासशील देशों की आवाज बनकर उभरना

    ग्लोबल साउथ की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को भारत ने G20 के मंच पर प्रमुखता से उठाया। अफ्रीकन यूनियन को G20 में शामिल कराने से भारत ने इतिहास रचा।

    3. वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका

    भारत निवेश, डिजिटल भुगतान, जलवायु परिवर्तन, और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास जैसे मुद्दों पर नए मॉडल पेश कर रहा है, जिन्हें विश्व समुदाय ने सराहा है।

    4. चीन और अमेरिका के बीच संतुलन

    भारत ने दोनों महाशक्तियों के बीच एक संतुलन बनाने का सफल प्रयास किया है। ऐसे समय में जब चीन और अमेरिका में तनाव चरम पर है, भारत दुनिया की ‘मध्य शक्ति’ की भूमिका निभा रहा है।

    5. भारत की छवि को वैश्विक समर्थन

    विकसित देश भारत को नए युग के वैश्विक नेता के रूप में देख रहे हैं। यह सम्मेलन भारत को कूटनीतिक, रणनीतिक और आर्थिक तीनों ही स्तरों पर मजबूती देता है।


    निष्कर्ष

    G20 Summit में ट्रम्प, पुतिन और जिनपिंग की गैरहाजिरी ने कई कूटनीतिक संकेत दिए हैं, लेकिन भारत के लिए यह आयोजन फिर भी बेहद खास और ऐतिहासिक रहा। दुनिया ने पहली बार भारत को केवल एक विकासशील देश के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसी शक्ति के रूप में देखा है जो वैश्विक मुद्दों पर निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

    भारत ने इस सम्मेलन के माध्यम से दुनिया को एकता, सहयोग और साझा भविष्य का संदेश दिया और यह साबित किया कि वैश्विक नेतृत्व का नया केंद्र अब एशिया, विशेष रूप से भारत, बन रहा है।

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