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No Handshake विवाद: पाकिस्तान की टीम इंडिया के खिलाफ ACC में शिकायत और मैच रेफरी पर नाराज़गी

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भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मुकाबले हमेशा से ही रोमांच, विवाद और भावनाओं से भरे रहे हैं। हाल ही में एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) के तहत खेले गए एक मैच के बाद फिर से एक ऐसा मामला सामने आया जिसने खेल से ज़्यादा सुर्खियाँ राजनीति और मनोविज्ञान को दे दीं। इस बार मुद्दा किसी छक्के-चौके या अंपायरिंग का नहीं, बल्कि “नो हैंडशेक” का रहा। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ACC के सामने आधिकारिक शिकायत दर्ज कर दी है और साथ ही मैच रेफरी पर भी भड़ास निकाली है।

विवाद की जड़: आखिर हुआ क्या?

मैच खत्म होने के बाद आमतौर पर खिलाड़ी आपस में हाथ मिलाकर खेल भावना का परिचय देते हैं। यह सिर्फ खेल का हिस्सा नहीं बल्कि “स्पोर्ट्समैनशिप” की परंपरा भी है। लेकिन इस मैच में भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान टीम से हैंडशेक करने से परहेज़ किया। इस घटना ने पाकिस्तान खेमे को इतना आहत किया कि उन्होंने इसे न सिर्फ खेल भावना के खिलाफ बताया बल्कि इसे जानबूझकर किया गया अपमान करार दिया।

पाकिस्तान की शिकायत है कि मैच रेफरी को इस पर ध्यान देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने उदासीन रवैया अपनाया। यही वजह रही कि PCB ने मामले को ACC तक पहुंचा दिया।

पाकिस्तान का रिएक्शन: ACC तक पहुंची शिकायत

पाकिस्तान की ओर से बयान आया कि भारतीय खिलाड़ियों का यह व्यवहार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की गरिमा के खिलाफ है। PCB का मानना है कि अगर दोनों देशों की टीमें मैदान पर भी आपसी सम्मान नहीं दिखातीं तो इससे क्रिकेट की छवि खराब होती है।

पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इसे जमकर उछाला गया। कई पूर्व खिलाड़ियों ने इसे खराब मिसाल बताते हुए कहा कि ACC को इस पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए।

मैच रेफरी पर क्यों निकाली भड़ास?

मैच रेफरी का काम सिर्फ अंपायरिंग से जुड़ी शिकायतें देखना नहीं होता, बल्कि पूरे मैच की गतिविधियों की निगरानी करना भी होता है। पाकिस्तान का आरोप है कि रेफरी ने इस मुद्दे को हल्के में लिया और कोई नोटिस नहीं लिया।

उनका तर्क है कि अगर नो हैंडशेक जैसी घटना को नजरअंदाज किया जाएगा, तो भविष्य में ऐसे मामले और बढ़ेंगे।

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट रिश्ते: हमेशा से संवेदनशील

क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, बल्कि भारत और पाकिस्तान के लिए सम्मान, भावनाओं और कभी-कभी राजनीति का मैदान भी है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सीरीज कई सालों से बंद हैं। टीमें सिर्फ ICC या ACC टूर्नामेंट्स में आमने-सामने होती हैं।

ऐसे में हर मुकाबला दोनों देशों के खिलाड़ियों और फैंस के लिए करो या मरो जैसा हो जाता है। इस माहौल में छोटी-सी बात भी बड़ा विवाद बन जाती है।

इससे पहले भी हुए विवाद

  • 1996 वर्ल्ड कप में बेंगलुरु मैच के दौरान भी खिलाड़ियों के बीच टकराव देखने को मिला था।

  • 2010 एशिया कप में अफरीदी और गंभीर का ऑन-फील्ड झगड़ा चर्चा में रहा।

  • हाल ही में वर्ल्ड कप 2023 के दौरान भी भीड़ के बर्ताव और खिलाड़ियों के बयानों को लेकर विवाद हुए।

इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि “नो हैंडशेक” वाला मामला एक लंबी लिस्ट में नया पन्ना जोड़ गया है।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ

जैसे ही यह मामला सामने आया, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बहस छिड़ गई।

  • भारतीय फैंस का कहना था कि खिलाड़ियों की प्राथमिकता टीम भावना और सुरक्षा है, हैंडशेक कोई अनिवार्य नहीं।

  • पाकिस्तान के समर्थकों ने इसे असम्मानजनक व्यवहार बताते हुए ACC और ICC से एक्शन की मांग की।

  • कई न्यूट्रल क्रिकेट एक्सपर्ट्स ने कहा कि इस तरह की चीजें क्रिकेट की असली भावना को नुकसान पहुंचाती हैं और दोनों बोर्ड्स को मिलकर इसे सुलझाना चाहिए।

    आगे क्या हो सकता है?

    अब सबकी नजर ACC पर है।

    • क्या ACC इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान देगा?

    • क्या भारतीय टीम से सफाई मांगी जाएगी?

    • क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए नए प्रोटोकॉल बनाए जाएंगे?

    संभावना है कि मामला इतना बड़ा रूप न ले और आपसी बातचीत से हल निकाल लिया जाए, लेकिन यह भी सच है कि हर विवाद भारत-पाकिस्तान क्रिकेट को और पेचीदा बना देता है।

    निष्कर्ष

    “नो हैंडशेक” विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट में सिर्फ बैट और बॉल नहीं, बल्कि इमोशन्स और पॉलिटिक्स भी खेलते हैं। पाकिस्तान की शिकायत और मैच रेफरी पर निकाली भड़ास इस बात की गवाही देती है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते अब भी तल्ख़ हैं।

    क्रिकेट फैंस यही चाहेंगे कि मैदान पर सिर्फ खेल की जीत हो, न कि विवादों की। क्योंकि आखिरकार, क्रिकेट का मकसद देशों को जोड़ना है, दूर करना नहीं।

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