कोडरमा विधानसभा चुनावों की मतगणना की तारीख 23 नवंबर जैसे-जैसे नज़दीक आ रही है, पूरे क्षेत्र में अटकलों और उत्सुकता का माहौल है। 13 नवंबर को हुए पहले चरण के मतदान में 13 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आज़माई।
यह चुनाव केवल एक मुकाबला नहीं है, बल्कि यह बदलती राजनीतिक परिस्थितियों, मतदाताओं की भावनाओं, और स्वतंत्र उम्मीदवारों के उभरते प्रभाव का प्रतीक है।
प्रमुख दावेदार और उनकी रणनीतियाँ
कोडरमा विधानसभा क्षेत्र हमेशा से प्रमुख दलों के बीच एक जंग का मैदान रहा है, और इस साल भी यह अलग नहीं है। आइए, प्रमुख खिलाड़ियों और उनके संभावित परिणामों पर नज़र डालते हैं:
भाजपा की हैट्रिक की कोशिश
- भाजपा उम्मीदवार डॉ. नीरा यादव, जिन्होंने 2014 और 2019 में लगातार जीत दर्ज की है, इस बार तीसरी बार जीत दर्ज करने का लक्ष्य लेकर मैदान में हैं।
- हालांकि, स्वतंत्र उम्मीदवारों की मज़बूत मौजूदगी भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक को खतरा पैदा कर सकती है।
- राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि स्वतंत्र उम्मीदवार शालिनी गुप्ता भाजपा के वोट काट सकती हैं, जिससे विरोधी दलों को फायदा हो सकता है।
राजद की वापसी की उम्मीद
राजद ने सुभाष प्रसाद यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है और क्षेत्र में अपनी खोई हुई पकड़ को फिर से पाने की कोशिश कर रहा है।
पार्टी ने रणनीति के तहत भाजपा के खिलाफ सत्ता-विरोधी माहौल और स्वतंत्र उम्मीदवारों को भाजपा के वोट बांटने के लिए प्रेरित किया है।
स्वतंत्र उम्मीदवारों की भूमिका
पहली बार, स्वतंत्र उम्मीदवार जैसे शालिनी गुप्ता और कामेश्वर महतो ने मतदाताओं का ध्यान आकर्षित किया है।
ये उम्मीदवार केवल भागीदार नहीं हैं, बल्कि इस चुनाव में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।
मतों का गणित: किसके हिस्से क्या आएगा?
पिछले चुनावों में, भाजपा की डॉ. नीरा यादव ने 63,675 वोट (2019) हासिल कर राजद के अमिताभ कुमार (61,878 वोट) को हराया था। वहीं, स्वतंत्र उम्मीदवार शालिनी गुप्ता ने भी प्रभावी प्रदर्शन करते हुए 45,014 वोट हासिल किए थे।
इस बार का चुनाव और भी पेचीदा लग रहा है:
स्वतंत्र उम्मीदवार भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं, जिससे राजद को फायदा मिल सकता है।
राजद ने विपक्षी वोटों को मजबूत करने का प्रयास किया है, जिससे यह मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।
चुनाव का महत्व: क्या है दांव पर?
भाजपा के लिए: यह जीत न केवल पार्टी के दबदबे को कायम करेगी, बल्कि डॉ. नीरा यादव की राजनीतिक विरासत को भी मजबूत करेगी।
राजद के लिए: यह जीत पार्टी की वापसी का संकेत हो सकती है और झारखंड में नए राजनीतिक समीकरण बना सकती है।
स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए: यदि वे जीतते हैं, तो यह पारंपरिक दो-पक्षीय राजनीति को चुनौती देगा और नए राजनीतिक दृष्टिकोण को जन्म देगा।
जनता की भावना: जमीनी स्तर पर चर्चा
कोडरमा की सड़कों पर माहौल बेहद जीवंत है। चाय की दुकानों और बाजारों में चुनावी चर्चाओं की गूंज है।
कई मतदाता बदलाव की इच्छा जता रहे हैं और स्थानीय विकास, बेरोजगारी, और शिक्षा जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
स्वतंत्र उम्मीदवारों के उभरने से इस चुनाव में अनिश्चितता का माहौल बन गया है। “इस बार सिर्फ भाजपा या राजद का सवाल नहीं है। स्वतंत्र उम्मीदवारों ने हमारे मुद्दों को उठाया है,” एक स्थानीय दुकानदार ने कहा।
इतिहास की झलक और भविष्य की संभावना
1990 से कोडरमा ने राजद और भाजपा के बीच सत्ता का अदला-बदली देखा है।
रमेश प्रसाद यादव से लेकर अन्नपूर्णा देवी तक, यह क्षेत्र हमेशा से एक राजनीतिक अखाड़ा रहा है।
2024 का चुनाव इस प्रवृत्ति को बदल सकता है।
क्या भाजपा अपनी हैट्रिक पूरी करेगी?
क्या राजद उम्मीद की लालटेन जला पाएगी?
या कोई स्वतंत्र उम्मीदवार पूरी बाजी पलट देगा?
निष्कर्ष: 23 नवंबर का इंतजार
13 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद है, और कोडरमा विधानसभा चुनाव का परिणाम कई नई संभावनाओं को जन्म दे सकता है।
नतीजों और विस्तृत विश्लेषण के लिए जुड़े रहें!