प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 5 बजे पूरे देश को संबोधित करेंगे। इस संबोधन में सरकार द्वारा कल से लागू होने वाली नई GST दरों (Goods and Services Tax) का विवरण होगा और साथ ही “स्वदेशी” उत्पादों / “Made in India” की भूमिका पर जोर दिया जाएगा। यह कदम न केवल कर प्रणाली को सरल बनाने का है, बल्कि घरेलू उद्योगों और उपभोक्ताओं को राहत देने का भी एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
GST दरों में बदलाव: क्या बदल रहा है?
GST परिषद ने हाल ही में दरों को सरल बनाने और घटाने का फैसला किया है।
मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 5 बजे पूरे देश को संबोधित करेंगे। इस संबोधन में सरकार द्वारा कल से लागू होने वाली नई GST दरों (Goods and Services Tax) का विवरण होगा और साथ ही “स्वदेशी” उत्पादों / “Made in India” की भूमिका पर जोर दिया जाएगा। यह कदम न केवल कर प्रणाली को सरल बनाने का है, बल्कि घरेलू उद्योगों और उपभोक्ताओं को राहत देने का भी एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
- GST दरों में बदलाव: क्या बदल रहा है?
- स्वदेशी (Made in India) उपयोग पर चर्चा
- क्यों है ये बदलाव आवश्यक?
- संभावित चुनौतियाँ और सावधानियाँ
- संबोधन से क्या उम्मीद की जाए?
- निष्कर्ष
- अगर उपभोक्ता, उत्पादक, दुकानदार सभी मिलकर इस बदलाव को सकारात्मक रूप से अपनाएँ, तो भारत वास्तव में “स्वदेशी”, “सरल GST” और “विकसित भारत” की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाएगा।
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GST स्लैब में कमी
अब अधिकांश करयोग्य वस्तुओं और सेवाओं के लिए सिर्फ दो मुख्य दरें होंगी — 5% और 18%। पुराने स्लैब जैसे 12%, 28% आदि को डेडिकेटेड श्रेणियों में सौंपा जाएगा या घटाया जाएगा। -
किस प्रकार की वस्तुएँ और सेवाएँ 5% में आएँगी
सामान्य उपयोग की वस्तुएँ, घरेलू सामान, कृषि उपकरण, स्वास्थ्य-सेवाएँ, दैनिक उपयोग की वस्तुएँ आदि को नया 5% स्लैब मिलेगा। इससे निम्न और मध्यम आय वर्ग पर राहत होगी। -
18% स्लैब का उपयोग
उन वस्तुओं एवं सेवाओं पर जो पहले 28% या 12% के उच्च-GST स्लैब में थीं, अब उन्हें 18% स्लैब में लाया जा रहा है, विशेषकर उन मामलों में जहाँ उन्हें गिराने से राजस्व पर बड़ा झटका नहीं होगा। -
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खरीदारी में राहत होगी: बहुत सी चीजें सस्ती हो जाएँगी।
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जीवन यापन खर्च कम होगा।
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मध्यम और निम्न आय वर्गों को सीधे लाभ मिलेगा।
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राज्य और केंद्र सरकारों के लिए चुनौतियाँ
जहाँ उपभोक्ताओं को लाभ होगा, वहीं सरकारों को कर राजस्व में कमी का सामना करना पड़ सकता है। ये बदलाव संविदानुसार संतुलन बनाए रखने होंगे।
स्वदेशी (Made in India) उपयोग पर चर्चा
प्रधानमंत्री का संबोधन स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने और “आत्मनिर्भर भारत” की अवधारणा को और मजबूत करने की दिशा में होगा। कुछ मुख्य पहलू ये हो सकते हैं:
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उत्पादन और रोजगार में वृद्धि: स्वदेशी उत्पादों के बढ़ते उपयोग से घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे रोजगार बढ़ेगा।
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उद्योगों की प्रतिस्पर्धा: स्थानीय उत्पादों की गुणवत्ता और ब्रांडिंग सुधारने की ज़रूरत होगी। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
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उपभोक्ता जागरूकता: सरकार संभवतः लोगों से अपील करेगी कि वे त्योहारों और दैनिक जीवन में स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता दें। उदाहरण के लिए स्वदेशी मेले आदि।
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आर्थिक आत्मनिर्भरता: स्वदेशी उत्पादन से विदेशी मुद्रा की बचत होगी, आयात पर निर्भरता घटेगी।
क्यों है ये बदलाव आवश्यक?
यह बदलाव कई कारणों से ज़रूरी है:
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सरलता और पारदर्शिता
पुराने कर ढांचे में बहुत सारे स्लैब, दरें और छूट-विच्छुताएँ थीं, जिससे उपभोक्ता और व्यवसाय दोनों को भ्रम होता था। अब GST दरों का साधारण स्वरूप आयात-निर्यात व्यवसाय, दुकानदारों और आम जनता दोनों के लिए बेहतर होगा। -
उपभोक्ता हित
महँगाई की मार से राहत देने की जरूरत है। जब आम वस्तुएँ और सेवाएँ सस्ती होंगी तो घरेलू बजट पर दबाव कम होगा। -
विकास और निवेश को आकर्षित करना
सरल कर नीति निवेशकों के लिए आकर्षक होती है। अगर कर दरें स्थिर और सरल हैं, तो निवेश और कारोबार बढ़ता है। -
राजस्व संतुलन
दर कम करने का अर्थ है कि कुछ वस्तुओं पर राजस्व में कमी हो सकती है, लेकिन सरकार अपेक्षा कर रही है कि बड़े-परिमाण में बिक्री होने से कुल राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव कम होगा।
संभावित चुनौतियाँ और सावधानियाँ
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कई व्यवसायों के लिए समायोजन: दुकानदारों, व्यापारियों को नई दरों के अनुसार कीमत तय करनी होगी, बिलिंग व्यवस्था बदलनी होगी।
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सूचना का अभाव: जनता को यह जानकारी पहुँचनी चाहिए कि कौन-सी वस्तु किस स्लैब में आई है। भ्रम न हो, टैक्स सेवाएँ सही हों।
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स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा: सिर्फ “स्वदेशी” होने भर से काम नहीं चलेगा; गुणवत्ता, डिज़ाइन, ब्रांडिंग, सेवाएँ आदि मानक पूरे होने चाहिए।
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राजस्व हानि का प्रबंधन: सरकार को यह देखना होगा कि दरों में कटौती से जो कमी आ रही है वह अन्य स्रोतों से कैसे पूरक होगी।
संबोधन से क्या उम्मीद की जाए?
प्रधानमंत्री मोदी के आज शाम के संबोधन से निम्नलिखित आशाएँ हैं:
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नई दरों का स्पष्ट घोषणापत्र
कल से कौन-सी दरें लागू होंगी, किन वस्तुओं/सेवाओं को नया स्लैब मिलेगा, क्या पुराने स्लैब समाप्त हो रहे हैं — सब कुछ स्पष्ट होगा। -
स्वदेशी उत्पादों की रणनीति
त्योहारों से पहले, “स्वदेशी मेले”, “वोकल फॉर लोकल” अभियानों का विस्तार, उपभोक्ताओं को आग्रह कि वे स्थानीय उत्पादन चुनें। -
उपभोक्ता राहत की गारंटी
सुनिश्चित किया जाए कि स्लैब में बदलाव से दुकानदार अपनी कीमतों में बदलाव करें, नहीं कि मार्जिन बढ़ाएँ। -
उद्योग जगत और MSMEs के लिए प्रोत्साहन
विशेष रूप से सूक्ष्म-, लघु- एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को टैक्स, क्रेडिट, उत्पादन उपकरण आदि पर सहायता मिले। -
निगरानी और अनुपालन
यह देखा जाएगा कि सरकार नई दरों का अनुपालन कैसे सुनिश्चित करती है, शिकायतों का निवारण कैसे होगा।
निष्कर्ष
मोदी का यह संबोधन सिर्फ एक आर्थिक सुधार नहीं है — यह सामाजिक एवं -आर्थिक दृष्टि से भारत को एक नई दिशा देने का प्रयास है। “GST-2.0”, नई दरें और स्वदेशी उपयोग ट्रेंड केवल कर नीति या उद्योग की ज़रूरत नहीं, बल्कि सार्वजनिक कल्याण और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता का हिस्सा हैं।
अगर उपभोक्ता, उत्पादक, दुकानदार सभी मिलकर इस बदलाव को सकारात्मक रूप से अपनाएँ, तो भारत वास्तव में “स्वदेशी”, “सरल GST” और “विकसित भारत” की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाएगा।
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